কলপ লাগানোর পর

12 Nov 2021 Health & Sc. News কলপ লাগানোর পর

কলপ লাগানোর পর; -ডাঃ পার্থপ্রতিম; ১৮ জুলাই ২০০৯; উত্তরবঙ্গ সংবাদ পত্রিকায় প্রকাশিত দু-চার গুচ্ছ চুল ধূসর হয়ে গিয়েছিল। সেগুলোকে কালো করতে চুলে কলপ লাগিয়েছিলেন এই মহিলা পাউলা প্র্যাট (৩৮)। হ্যাঁ, ত্বকে কলপ পরীক্ষার ৪৮ ঘন্টা পরই। ৪০০ টাকা দামের সেই কলপ লাগানোর পরদিন যথারীতি কাজেও যান পাউলা। সন্ধের দিকে মুখ, গলা সব ফুলতে শুরু করে। কলপের জেরে অ্যালার্জিক রিঅ্যাকশন! মুখ এমন ফুলে যায়, চোখ দুটো তাতে বুজেই যায়। মাথা, মুখ, গলা, কপাল ফুলেফেঁপে বেলুনের মতো হয়ে যায়। মুখের দু-ধারে তিন ইঞ্চির মতো বেড়ে যায়। গলা এমন ফুলে যায় যে শ্বাস নেওয়া কষ্টকর হয়ে পড়ে। মাথার খুলি ঢিলেঢালা হয়ে যায়। খুলি বেয়ে বেয়ে একজিমার রসের মতো রস গড়াতে থাকে। বোঝা যায়, খুলিতে সংক্রমণ ঘটেছে। ওয়েস্ট সাসেক্স বোগনোর রেগিসের বাসিন্দা পাউলা প্র্যাট ছোটেন ডাক্তারের কাছে। স্থানীয় সেই চিকিৎসক কাছাকাছি এক বিশেষজ্ঞকে রেফার করেন। চিচেস্টারের সেন্টার রিচাডর্স হসপিটালের সেই চিকিৎসক পাউলাকে স্টেরয়েড, অ্যান্টিহিস্টামিন ওষুধ দেন। ৭ দিনের কোর্স চলে। পাওলা এখন সুস্থ। ছবিতে দেখা যাচ্ছে অসুস্থ এব...

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रक्त बंधन उत्सव में दिखा डुआर्स में विविधता के बाद भी एकता का दृश्य

06 Nov 2021 Dear रक्त बंधन उत्सव में दिखा डुआर्स में विविधता के बाद भी एकता का दृश्य

रक्त बंधन उत्सव में दिखा डुआर्स में विविधता के बाद भी एकता का दृश्य; सिलीगुड़ी, शुक्रवार, 29 जून, 2018; भारत दर्पण बानरहाट, २८ जून (निसं.)- डुआर्स एक्पलोरेषन एंड एडभांसमंेट रिभेली (डियर) द्वारा आज बानरहाट सरबन मेमोरियल स्कूल में रक्तबंधनका उत्सव को लेकर एक अभिनव कर्मसूची पालन किया गया। इस रक्तबंधन उत्सव कार्यक्रम में डुआर्स के विभिन्न धर्म एवं जनजाति वर्ग के लोगोंको शमिल कर आत्मियता का संबंध दिखाई दिया। डुआर्स एक विभिन्न जाति-संस्कृति-भाशा को लेकर है, यह आज कार्यक्रम के दौरान प्रमाण हुआ। डियर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डुक्पा, राभा, मेच, गारो, संथाल, उरांव, मुंडा, राई, लिम्बू, तामांग, महली, असुर जनजाति के साथ-साथ विभिन्न धर्म के लोग अपने संस्कृति, वेषभूशा में उपस्थित होकर विविधता में भी एकता को दर्षाया। विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय कें लोगों ने डुआर्स में षांति-समृद्धि एवं एकता बनाये रखने के लिए षपथ ग्रहण भी किया गया। रक्त बंधन के इस उत्सव में मुख्य अतिथि विषिश्ट चाय विषेशज्ञ एवं टी एसोसिएषन इंडिया के सचिव राम अवतार षर्मा, बेगरत्न एवं इतिहासकार डॉ. आनंद ग...

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डुवार्स डे को लेकर चामुर्ची चेकपोस्ट में सभा आयोजित

06 Nov 2021 Dooars Day डुवार्स डे को लेकर चामुर्ची चेकपोस्ट में सभा आयोजित

डुवार्स डे को लेकर चामुर्ची चेकपोस्ट में सभा आयोजित;सिलीगुड़ी, 8 जनवरी 2015; जनपथ समाचार चामुर्ची (निज संवाददाता): डुवार्स डे पालन को लेकर आज चामुर्ची चेकपोस्ट में एक सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में डुवार्स-डे आयोजन को लेकर क्षेत्रीय कमेटी बनाई गई। इस कमेटी में अध्यक्ष कैलाष प्रसाद अग्रवाल, उपाध्यक्ष भानु सहनी, समी अहमद, सचिव हसनेन रजा (पप्पु), सहसचिव षरीफ खान, कोशाध्यक्ष अषोक षर्मा सहित बलराम षर्मा, छबीला मितल को रखा गया। डुवार्स-डे केन्द्रीय कमेटी के अध्यक्ष रेजा करीम ने बताया कि डुवार्स-डे को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस बार 14 जनवरी को डुवार्स के बागराकोट से कुमारग्राम तक उत्साह के साथ डुआर्स डे मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि डुवार्स-डे को लेकर वीरपाड़ा, बिन्नागुड़ी सहित बानरहाट में कमेटी बनाई गई है। चामुर्ची चेकपोस्ट के व्यवसायी एवं डुवार्स-डे के षाखा अध्यक्ष कैलाष प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि आज चामुर्ची चेकपोस्ट में कमेटी गठन को लेकर आयोजित बैठक में काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। भारत-भूटान सीमांत क्षेत्र में 14 जनवरी को डुवार्...

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डुवार्स दिवस पर दीपावली सरीखी रोशनी

03 Nov 2021 Dooars Day डुवार्स दिवस पर दीपावली सरीखी रोशनी

डुवार्स दिवस पर दीपावली सरीखी रोशनी; सिलीगुड़ी, 15 जनवरी, 2012; जलपाईगुड़ी जागरण बिन्नागुड़ी संवाद सूत्रः अंधेरा हो या मनका विशम दोनों को मिटाने के लिए प्रकाष का होना जरूरी है। देष के किसी भी हिस्से की संस्कृति हो उसका समागम एक सा ही होता है। कहीं दीये दीपावली पर जलाए जाते हैं तो कहीं दीये पूजा के लिए जलाया जाता है। तराई-डुवार्स में भी दीपावली मनाने के परंपरा है लेकिन यहां वास्तव में दीये प्रत्येक वर्श 14 जनवरी को ही जलते हैं। सुख, समृद्धि के लिए जो दीये लोग 14 जनवरी को जलाते है उसका महत्व इन आदिवासी इलाकों में कहीं न कहीं दीपावली से भी अधिक होता है। ऐसे में प्रत्येक वर्श जब पूरा देष मकर संक्राति मना रहा होता है तो यहां के इलाको में डुवार्स दिवस के नाम पर दीपावली की छटा देखने को मिलती है। अपने विकास, पहचान, अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी जब तराई की हरियाली के बीच अपने घरों के आगे दीए जलाते है तो मानो पूरा आसमान सुख-षांति के संदेष से जगमगा उठता है। डॉ. पार्थ प्रतीम ने डुवार्स की पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। डुवार्स की भूमि के बारे में सोचने, समझाने ...

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