शैवाल ने शिक्षा को पेशा नहीं, कर्तव्य समझा

शैवाल ने शिक्षा को पेशा नहीं, कर्तव्य समझा

शैवाल ने शिक्षा को पेशा नहीं, कर्तव्य समझा; सोमवार, 8 मई 2011;दैनिक जागरण; सिलीगुड़ी
चामुर्ची / बिन्नागुड़ी, जटीः आज के युग में लोग अर्थ के पीछे दौड़ रहे हैं मगर शैवाल भट्टाचार्य ऐसे शिक्षाविद थे जिन्होंने विद्यार्थियों को ईमान्दारी शिक्षा प्रदान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह बातें डा. पार्थ प्रतीमने शनिवार को आयोजित स्मरण सभा में कहीं। इसी दौरान जिया आलम ने उनके जीवन के यर्थात एवं उनके आदर्ष का परिचय दिया। प्रधान शिक्षक सुकल्याण भट्टाचार्य ने उन्हें एक आदर्ष शिक्षक का दर्जा देते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा दान को पेशा नहीं कर्तव्य समझा। उल्लेखनीय है कि शैवाल भट्टाचार्य ने शिक्षक के रूप में इतने तत्लीन एवं मग्न थे इस पेशा में आने पर डब्लूबीसीएस की नौकरी तक छोड़ दी थी। बानरहाट स्थित तरूण संघ पुस्तकालय के सभागृह में शनिवार को बानरहाट बंगला हाई स्कूल के पर्व शिक्षक, समाजसेवी एवं विषिश्ट शिक्षाविद् शैवाल भट्टाचार्य की स्मरण सभा आयोजित की गई। इनका निधन 16 अप्रैल को हुआ था। स्व. शैवाल भट्टाचार्य के स्मरण सभा की अध्यक्षता बानरहाट गर्ल्स हाई स्कूल के प्रधानाध्यापिका सुकला राय चौधरी ने किया। जबकि स्मरण सभा का आयोजन बानरहाट बंगला हाई स्कूल सभा में हुआ। जिसमें क्षेत्र के शिक्षक समाजसेवी, शिक्षाविद् तथा राजनीतिकविद् उपस्थित थे। सभा को बानारहाट एवीएम हिंदी हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक भानू प्रताप सिंह, डुवार्स डे परिचालना कमेटी के अध्यक्ष डा. पार्थ प्रतिम, बानारहाट बंगला हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक सुकल्याण भट्टाचार्य, समाजसेवी एवं विषिश्ट श्रमिक संगठन के नेता जियाउल आलम, शिक्षक विश्णु षर्मा, साहित्यकार केबी खडका सहित कई गणमान्य लोगों ने स्व0 शैवाल भट्टाचार्य केग आदर्ष एवं उपलब्धियों की चर्चा की। हुए आने वाले पीढ़ी के लिए मार्गदर्षक बताया। उधर, बिन्नागुड़ी से मिली जानकारी के अनुसार बानारहाट में शैवाल की याद में आयोजित सभा में क्लब की तरफ मौनधारण किया गया तथा उनके जीवनी पर चर्चा की गई।

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